रायपुर.हम सभी जानते हैं कि पृथ्वी हमेशा घूमती रहती है और इसे अपनी धुरी का एक चक्कर लगाने में 24 घंटे लग जाते हैं, लेकिन हाल ही में साइंटिस्ट ने चौंकाने वाला खुलासा किया है. (फोटो: सोशल मीडिया)
रिपोर्ट के मुताबिक, डाटा कलेक्शन के हिसाब से 19 जुलाई 2020 अब तक का सबसे छोटा दिन था. इस दिन पृथ्वी अपनी धुरी पर 1.4602 मिलीसेकंड पहले ही आ गई थी. साल 2020 के मध्य से पृथ्वी (Earth) रोजाना अपनी 24 घंटे के चक्कर (Rotation) को 0.5 मिलीसेकंड पहले ही पूरा कर ले रही है. यानी हमारे 24 घंटे में 0.5 मिलीसेकंड कम हो रहे हैं.

वैज्ञानिकों के मुताबिक, इन दिनों धरती काफी तेजी से घूम रही है और 24 घंटे से कम समय में ही चक्कर लगा ले रही है. ऐसा पिछले 50 सालों में नहीं हुआ. (फोटो: सोशल मीडिया)

पृथ्वी के तेजी से चक्कर लगाने की इस घटना ने साइंटिस्ट को भी हैरान कर दिया है. डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक, धरती के तेजी से घूमने का यह मामला साल 2020 के मध्य में आया था. इसकी वजह से वैज्ञानिकों को एटॉमिक क्लॉक का समय भी बदलना पड़ सकता है. (फोटो: सोशल मीडिया)

रिपोर्ट के मुताबिक, डाटा कलेक्शन के हिसाब से 19 जुलाई 2020 अब तक का सबसे छोटा दिन था. इस दिन पृथ्वी अपनी धुरी पर 1.4602 मिली सेकंड पहले ही आ गई थी. ऐसे में घड़ी में अब निगेटिव लीप सेकेंड जोड़ना पड़ेगा. (फोटो: सोशल मीडिया)

साल 1970 से अब तक कुल मिलाकर 27 लीप सेकेंड जोड़े जा चुके हैं. साल 2020 के मध्य से पृथ्वी रोजाना अपनी 24 घंटे के चक्कर को 0.5 मिलीसेकंड पहले ही पूरा कर ले रही है. यानी हमारे 24 घंटे में 0.5 मिलीसेकंड कम हो रहे हैं. (फोटो: सोशल मीडिया)

बता दें कि 2020 से पहले तक साल 2005 में सबसे छोटा दिन नापा गया था. मगर आपको जानकर हैरानी होगी कि पिछले एक साल में ये रिकॉर्ड 28 बार टूट चुका है. (फोटो: सोशल मीडिया)

आम इंसान को समय का ये बदलाव नहीं पता चल पाएगा. ये सिर्फ एटॉमिक क्लॉक के माध्यम से ही पता लगाया जा सकता है. (फोटो: सोशल मीडिया)

मगर 0.5 मिलीसेकेंड की कमी आने के कारण कई समस्याएं खड़ी हो सकती हैं. जैसे कि हमारे कम्यूनिकेशन सिस्टम में समस्या आ सकती है. इसका कारण ये है कि हमारी सैटेलाइट्स या दूसरे संचार से जुड़े यंत्र सूर्य के समय के हिसाब से यानी सोलर टाइम के हिसाब से सेट होते हैं. (फोटो: सोशल मीडिया)

वैज्ञानिक धरती द्वारा रोटेशन में कम समय लेने को लेकर चिंतित लग रहे हैं. नेशनल फिजिकल लेबोरेटरी के वरिष्ठ वैज्ञानिक के अनुसार जिस तरह धरती घूमने की गति बढ़ रही है, शायद लोगों को निगेटिव लीप सेकेंड समय में जोड़ना पड़ सकता है